16 दिसबंर से शुरू होगी शीतकालीन चारधाम यात्रा..
उत्तराखंड: चारधामों के शीतकालीन गद्दीस्थलों की यात्रा को बढ़ावा देने के लिए शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू की जा रही है। इस साल 16 दिसंबर से शीतकालीन चारधाम यात्रा ज्योति पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के सानिध्य में शुरू की जाएगी। शीतकालीन चारधाम यात्रा 16 दिसंबर से शीतकालीन पूजा स्थल से शुरू होगी। बता दें कि शीतकालीन चारधाम यात्रा सात दिनों तक चलेगी। जिसके बाद इसका समापन 22 दिसंबर को शंकराचार्य आश्रम हरिद्वार में होगा। शीतकालीन यात्रा के लिए पंजीकरण 30 नवंबर से शुरू किए जाएंगे। पंजीकरण 10 दिसबंर तक किए जाएंगे। बता दें कि देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले यात्री शीतकालीन चारधाम यात्रा के लिए अपना पंजीकरण ज्योतिर्मठ सेवालय में करवा सकते हैं।
यहां है चार धामों के शीतकालीन गद्दीस्थल..
आपको बता दें कि रुद्रप्रयाग जिले में स्थित उखीमठ में ओंकारेश्वर मंदिर भगवान केदारनाथ (भगवान शिव) का शीतकालीन निवास स्थान है। शांति और आध्यात्मिकता पसंद लोगों के लिए ये अति उत्तम स्थान है। सर्दियों के दौरान जब बद्रीशपुरी बर्फ की चादर ओढ़ लेती है तो तब भगवान बद्रीनारायण पांडुकेश्वर स्थित योग-ध्यान बद्री मंदिर और जोशीमठ स्थित नृसिंह बद्री मंदिर में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद रहने के दौरान मां यमुना स्थानीय रूप से खुशीमठ के नाम से प्रसिद्ध खरसाली गांव में अपने भक्तों को दर्शन देती है। बता दें कि खरसाली अत्यंत ही सुंदर मनोरंजन स्थल है और यहां घुमावदार घास के मैदान और ओक और शंकुधारी के जंगल हैं। सर्दियों में गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो जाने के बाद मां गंगा हर्षिल के पास भागीरथी नदी के तट पर एक छोटे से गाँव मुखबा में विराजमान होती हैं और अपने भक्तों को दर्शन देती हैं।