Breaking
Sat. Apr 19th, 2025

डीएम संदीप तिवारी ने दिए वनाग्नि की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाए जाने के निर्देश..

डीएम संदीप तिवारी ने दिए वनाग्नि की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाए जाने के निर्देश..

 

 

 

उत्तराखंड: वनाग्नि घटनाओं की रोकथाम व उसके प्रबंधन और कार्य योजना को लेकर को जिलाधिकारी संदीप तिवारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा अनुश्रवण समिति की बैठक गई। जिसमें वन विभाग के अधिकारियों को वनाग्नि की रोकथाम के लिए तैयारी रखने, पर्यावरण एवं जंगलों के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने और सबकी सहभागिता से वनाग्नि घटनाओं की रोकथाम के कार्य करने के दिशा-निर्देश दिए।

जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि ब्लॉक स्तर, ग्राम पंचायत एवं वन पंचायत स्तर पर शीघ्र बैठक आयोजित कर वनाग्नि सुरक्षा समितियों को सक्रिय करें।राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं, युवक एवं महिला मंगल दल को स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण देकर वनाग्नि के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करें और उनका सहयोग लें। वन आरक्षी, वन दारोगा के साथ ही संबंधित क्षेत्र के पटवारी और ग्राम विकास अधिकारियों के साथ समन्वय बनाने के निर्देश दिए। जिससे वनाग्नि दुर्घटनाओं को रोकने में सहायता मिल सके।

जिले में संचालित विभिन्न मंदिर समितियों से भी समन्वय रखा जाए। फायर उपकरणों को क्रय करने के लिए समय पर टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाए। जिन वन पंचायतों को अभी तक फायर किट नहीं मिली है, उनको प्राथमिकता पर इस बार फायर किट उपलब्ध कराई जाए। अतिसंवेदनशील वन क्षेत्रों में चाल-खाल, खंतियां बनाने के लिए प्रस्ताव उपलब्ध करें। गांव में वन सरपंच एवं आम लोगों के साथ गोष्ठियों का आयोजन करते हुए वनाग्नि दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए ठोस कार्य योजना तैयार की जाए। डीएम ने कहा कि वनाग्नि घटनाओं को रोकने के लिए संवेदनशील और अति संवेदनशील क्षेत्रों में पिरूल घास को साफ कर फायर लाइन बनाई जाए। फायर सीजन में पर्याप्त संख्या में फायर वाचर एवं ग्राम प्रहरी की तैनाती सुनिश्चित करें। वनों में आग लगाने वाले असामाजिक तत्वों को चिन्हित कर सख्त से सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए।

वनों में आग बुझाने एवं जागरूकता कार्यक्रमों में अच्छा सहयोग करने वाले व्यक्ति एवं समूह विशेष को पुरस्कृत किया जाए। जिलाधिकारी ने फायर सीजन के दौरान सभी विभागों को आपसी समन्वय बनाकर कार्य करने के निर्देश भी दिए। वन क्षेत्राधिकारियों को सभी अधिकारियों, वन पंचायत सरपंचों एवं ग्राम प्रहरी के फोन नंबर अपडेट रखने व निर्धारित प्रारूप में समय से वनाग्नि दुर्घटनाओं की जानकारी प्रसारित कराने को कहा। ताकि आग लगने पर बुझाने की त्वरित कार्यवाही की जा सके। बैठक में वनाग्नि की रोकथाम के लिए वन पंचायत सरपंचों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं अन्य जन प्रतिनिधियों के सुझाव भी लिए गए।वहीं एसएसपी सर्वेश पंवार ने कहा कि फायर सीजन से पूर्व सभी संवेदनशील क्षेत्रों में संयुक्त रूप से पेट्रोलिंग की जाएगी। वहीं एसएसपी ने कहा कि मजदूरों का सत्यापन भी कराया जाएगा। वहीं प्रभागीय वनाधिकारी सर्वेश कुमार दुबे ने कहा कि चमोली जिले में 506094.473 हेक्टेयर वन क्षेत्र है और जिसमें 161547.25 हेक्टेयर वन वन क्षेत्र संवेदनशील और 39736.62 हेक्टेयर अति संवेदनशील है। बीते साल जिनपद में वनाग्नि की 228 घटनाएं सामने आई। वहीं वनाग्नि की घटनाओं को कम करने के प्रयास लगातार जारी हैं।

 

 

 

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *