उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तरकाशी दौरे के बाद सीधे दिल्ली रवाना हो गए। उनके इस दौरे को राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार और फेरबदल की तैयारियों से जोड़ा जा रहा है।
मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट फिर तेज
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राज्य मंत्रिमंडल में रिक्त चार पदों को भरा जा सकता है और कुछ मौजूदा मंत्रियों के विभागों में बदलाव की संभावना है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पहले ही संकेत दे चुके हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार जल्द हो सकता है। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 12 मंत्री हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल कैबिनेट में सिर्फ सात मंत्री हैं। 2022 में सीएम धामी के दोबारा पदभार संभालने के समय तीन पद खाली रखे गए थे, और कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन के बाद एक और पद रिक्त हो गया।
कौन-कौन से मंत्री बदले जा सकते हैं?
हाल ही में बजट सत्र के दौरान कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल का नाम विवादों से जुड़ा, जिससे मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की अटकलें तेज हो गईं। सूत्रों के अनुसार, दो से चार मंत्रियों को बदला जा सकता है, जिससे छह से आठ नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। भाजपा से जुड़े सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि सीएम धामी सभी रिक्त पदों को नहीं भरेंगे और कम से कम दो पद फिलहाल खाली रख सकते हैं। साथ ही, कई मंत्रियों के विभागों में बदलाव तय माना जा रहा है।
किन जिलों को मिलेगा प्रतिनिधित्व?
अगर यह फेरबदल होता है, तो उन जिलों को भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिल सकता है, जो अभी तक वंचित हैं। वर्तमान में मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री इस प्रकार हैं:
. पौड़ी गढ़वाल: सतपाल महाराज, डॉ. धन सिंह रावत
. देहरादून: प्रेम चंद अग्रवाल, गणेश जोशी
. टिहरी: सुबोध उनियाल
. अल्मोड़ा: रेखा आर्या
. ऊधम सिंह नगर: सौरभ बहुगुणा
वहीं, हरिद्वार, पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों से कोई मंत्री नहीं हैं।
दिल्ली दौरे का असली मकसद?
गुरुवार दोपहर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तरकाशी दौरे के बाद दिल्ली लौटे, तो थोड़ी देर बाद मुख्यमंत्री धामी भी दिल्ली रवाना हो गए। आधिकारिक रूप से इस दौरे को कुछ केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात के रूप में बताया जा रहा है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, इसका असली मकसद मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल पर केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा करना है। अब देखना यह होगा कि उत्तराखंड मंत्रिमंडल में यह बदलाव कब और किस रूप में सामने आते हैं।