उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय फिर चर्चा में, बजट खर्च की अंतिम तिथि पर वेतन भुगतान रोका..
उत्तराखंड: आयुर्वेद विश्वविद्यालय के लिए वित्त विभाग द्वारा आवंटित बजट खर्च करने की अंतिम तिथि आज है। शासन ने कड़े निर्देश जारी करते हुए तय समय सीमा के भीतर बजट खर्च करने के आदेश दिए हैं। हालांकि विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव के वेतन का भुगतान इस बजट मद से न करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। शासन की सख्ती के चलते बजट के उचित उपयोग और समय पर खर्च को लेकर प्रशासन में हलचल तेज हो गई है।
हमेशा चर्चाओं में रहने वाले उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में बजट खर्च के प्रावधान से जुड़ा हुआ है। बता दे कि वित्त विभाग ने विश्वविद्यालय के लिए कुल 9.50 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। शासन ने निर्देश दिया है कि कुलपति और कुलसचिव के वेतन का भुगतान इस बजट से नहीं किया जाएगा। वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले बजट के समय पर उपयोग को लेकर प्रशासन में हलचल तेज हो गई है। विश्वविद्यालय की नियुक्तियों और विभिन्न कार्यों को लेकर पहले भी सवाल खड़े होते रहे हैं। वित्तीय पारदर्शिता को लेकर यह निर्णय शासन की सख्ती का संकेत माना जा रहा है। अब देखना होगा कि बजट का नियमानुसार और पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।
कुलपति और कुल सचिव का वेतन आहरण रोकने के निर्देश..
शासन ने इस संदर्भ में आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं के निदेशक को पत्र लिखकर यह स्पष्ट किया है कि जो धनराशि दी जा रही है, उसका उपयोग कुलपति और कुल सचिव के वेतन आहरण के रूप में ना किया जाए। यानी बजट से दोनों का वेतन नहीं दिया जाएगा। माना जा रहा है कि विश्वविद्यालय में विभिन्न अनियमितताओं की शिकायत के कारण सरकार की नाराजगी के चलते यह निर्णय लिया गया है। इन निर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि वित्त विभाग के निर्णय के बाद ही कुलपति और कुल सचिव का वेतन दिया जाएगा। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय को 9 करोड़ 50 लाख की धनराशि इस शर्त के साथ दी गई है कि इसका उपयोग किसी भी दूसरे कार्यों के लिए नहीं किया जाएगा। इसमें केवल मानक मद पांच-वेतन, भत्ते और छात्रवृत्ति के रूप में ही बजट खर्च किया जाएगा। इसमें यह भी साफ किया गया है कि विभाग के पास दिए गए बजट का मद (खर्च का ब्योरा) बदलने का अधिकार नहीं होगा।
स्वीकृत की गई धनराशि का व्यय वास्तविक व्यय के आधार पर ही किया जाएगा। अतिरिक्त बजट की प्रत्याशा में मौजूदा बजट से अधिक की धनराशि खर्च करने का अधिकार विभाग के पास नहीं होगा। यानी जो व्यय तय है, उतनी ही राशि उक्त कार्य के लिए खर्च की जाएगी। मौजूदा बजट में विश्वविद्यालय के परिसर में अध्यनरत छात्रों को प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति का भुगतान करने के भी निर्देश दिए गए हैं। यह फैसला वित्तीय अनुशासन बनाए रखने और धनराशि के उचित उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
बजट खर्च का आखिरी दिन..
दिए गए बजट को शर्तों के अनुसार ही खर्च करने की स्थिति में आगामी वित्तीय वर्ष में विश्वविद्यालय के लिए अवमुक्त किए जाने पर विचार किया जाएगा। अन्यथा की स्थिति में इसका पूरा उत्तरदायित्व कुलपति और कुल सचिव उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय का ही होगा। खास बात ये भी है कि वित्तिय वर्ष का आखिरी दिन होने के कारण खर्च के भुगतान में देरी कि तो बचा हुआ बजट सरेंडर करना होगा।